हुआ यू की एक आदमी ने दिया दूसरे आदमी को लड्डू। मजे की बात तब हुई उस लड्डू के एबज़ मे पहले आदमी ने लड्डू लेने वाले की सारी संपाती ले ली |
हा हा हा जरा रुकिए एकदम ऐसा नहीं हुआ पर हुआ कुछ ऐसा ही है|
बात कुछ बिद्यार्थियों की है जो डाटा साइन्स आर्किटैक्चर मे अपना कारीयर बनाना चाहते थे | इन विद्यार्थियों की चुकी आर्थिक परिस्थितियों की वजह से एक ऐसे संस्थान का चुनाव किया जो यह वादा करती थी की वह इन विद्यार्थियों की डाटा साइन्स आर्किटैक्चर प्रोग्राम्म की ट्रेननिंग देगी| ट्रेननिग की फीस विद्यार्थी को भरना होगा |
लेकिन उसके लिए विद्यार्थियों को अपने जेब से पैसे देने की जरूरत नहीं है - ऐसा संस्थान का कहना था | संस्थान अपने मित्र फ़ाइनेंस कोंपनीस के मधायम से लोन कवाएगी | इस लोन का इनस्तलल्मेंट ईएमआई संस्थान तब तक देती रहेगी जबतक विद्यार्थी उनके दिये प्रोग्राम की ट्रेननिंग से प्लेसमेंट नहीं हो जाता |
विद्यार्थियों ने सोचा ठीक ही है अगर संस्थान प्लेसमेंट तक ईएमआई दे ही रहा है जॉब लाग्ने के बाद वे बाकी पैसे दे देंगे | बिद्यार्थियों ने एड्मिशन लिया | संस्थान हर महीने की सुरुयात मे ईएमआई के पैसे स्टूडेंट के खाते मे आते और स्टूडेंट के खाते से ओ पैसा संस्थान के फ़ाइनेंस पार्टनर जिनहोने बिद्यार्थियों को लोन दिया था उनके खाते मे चला जाता | साथ ही साथ संस्थान डाटा साइन्स आर्किटैक्चर प्रोग्राम का ट्रेननिंग बिद्यार्थियों को देने लगा |
संस्था इसी लुभावने वादे पर चल रही थी इसे चलते हुये दो साल लगभग हो चुके थे | सात से आठ बिद्यार्थियों का इनहोने पकमेंट दिखाया , दावा करती है ये संस्थान से बहुत विद्यार्थी लाभान्वित हुए | और कुछ विद्यार्थी जिनका प्लेसमेंट नहीं हुआ ऐसे कुछ बिद्यार्थी अभी भी ट्रेननिंग ले रहे हैं|
लंबे समय से ट्रेननिंग ले रहे बिद्यार्थियों का कहना है की उनके बैच मे अभी तक सिलैबस ही कंप्लीट नहीं है | और कुछ बिद्यार्थी नए जॉइन हुये है | पढ़ना - पढ़ाना और लोन भी भरना सुचारु रूप से चल रहा था |
अधिकतर बिद्यार्थियों का कहना है की ईएमआई समय पर मिल तो जा रहा था परंतु जितना ईएमआई लगता था उससे तीस से चालीस रूपाय कम संस्थान बिद्यार्थियों को देती थी | इस संस्थान मे अध्ययन करने वाले कुछ के पास जॉब थी और कुछ बेरोजगार | बेरोजगारों का कहना था की संस्थान उनको पूरे पैसे दें पर इनकी मांग पर संस्थान बड़ी चतुराई से निकाल जाती थी |
इस तरह संस्थान का काला चेहरा धीरे धीरे बाहर आने लगा | इसी साल 2023 के फेब्रुअरी माह मे संस्थान ने घोसना किया की समय पर ईएमआई का पैसा देने के लिए संस्थान बाध्य नहीं है जबकि संस्था ने अपने और बिद्यार्थियों के बीच हुवे अग्रीमेंट मे यह साफ है की संस्थान ईएमआई देने के लिए जिम्मेदार है | परंतु अब संस्थान अपनी जिम्मेवारियों से पाला झाड कर बिद्यार्थियों के कंधे पर लोन की मोटी रकम देने के लिए बाध्य कर रहा है|
बिद्यार्थियों का बिगाड़ना जायज था इनहोने सोसल मीडिया,पुलिस ,कोर्ट, संस्थान के बंगलुरु के जयनगर स्थित ऑफिस मे फ़िज़िकल प्रेजेंट होकर अपने साथ हुवे 420सी की रिपोर्ट लिखवाई और सवाल पूछा | संस्थान ने विगत दो महीने से ईएमआई नहीं दिया है क्लाससेस भी नहीं हो रहा है | इधर फ़ाइनेंस कोंपनीस का कहना है की पैसा विद्यार्थियों के कहने पर संस्थान को दिया गया अब लोन की मोटी रकम बिद्यार्थियों से ही वसूला जागा यहाँ नोट करने की बात यह है की कहा गया की "वसूला जाएगा" इससे फ़ाइनेंस कोंपनीस के मिजाज का बिद्यार्थियों के प्रति पता चलता है |
संस्थान ने बिद्यार्थियों के हाथ मे खयाली लड्डू दे कर मोटी रकम पचाना चाहती है |
संस्थान का नाम : Geeklurn Edutech Pvt. Ltd.
फ़ाइनेंस पार्टनर : Propell, Credence, Aaditya Birla group ETC.
अधिकतम संस्थान की फीस : 278000/-
अधिकतम ईएमआई : 10 हजार से 15 हजार तक
लोन का टेनुयर : 36 महीने |
बिद्यार्थियों की स्थिति इतनी मोटी रकम भरने की हर महीने नहीं है अर्थात वे सक्षम नहीं हैं | बिद्यार्थियों की पैसे न देने की छमता ही संस्थान मे खिच लाई और संस्थान इनकी मजबूरीयों का बखूबी फाइदा उठाया |
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https://www.ambitionbox.com/reviews/geeklurn-reviews
https://www.consumercomplaints.in/bycompany/geeklurn-a646554.html
https://consumercomplaintscourt.com/education-loan-fraud-done-by-geeklurn-edutech-pvt-ltd-banglore/
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